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यह आँखों से दिखने वाली चीज़ से कहीं अधिक है

25 जुलाई 2025

सुप्रिया सिंह

अचानक ऐसा क्या हुआ कि उपराष्ट्रपति को यह फैसला लेना पड़ा? हालाँकि उन्होंने अपने त्यागपत्र की वजह अपनी सेहत बताई थी, लेकिन उनके इस्तीफे की घोषणा से पहले का घटनाक्रम कुछ और ही इशारा करता है।

धनखड़ को इस साल की शुरुआत में दिल का दौरा पड़ा था। लेकिन वे ठीक हो गए और पूरी ताकत से अपने आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करने लगे। उन्होंने सोमवार को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन के पहले भाग में राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता की।

उपराष्ट्रपति ने मंगलवार दोपहर को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक और बुधवार को जयपुर की एक दिवसीय आधिकारिक यात्रा भी निर्धारित की थी।

कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने की मांग करने वाले विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को स्वीकार करने का धनखड़ का फैसला सत्तारूढ़ दल को रास नहीं आया। "यह सरकार के लिए अप्रत्याशित था, जिसे उम्मीद थी कि हटाने का प्रस्ताव लोकसभा में एक संयुक्त पहल के रूप में शुरू होगा।"

दोपहर करीब 2 बजे उपराष्ट्रपति को प्रस्ताव सौंपा गया और शाम करीब 4 बजे उन्होंने सदन को इसकी जानकारी दी। उन्होंने राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी से लोकसभा में भी इसी तरह का प्रस्ताव पेश किए जाने के बारे में पूछताछ करने को कहा। लगभग आधे घंटे बाद कार्य मंत्रणा समिति की बैठक शुरू हुई।

उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन से सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें तत्काल बैठक के लिए बुलाया गया था।

इसके बाद उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया।

धनखड़ न्यायमूर्ति वर्मा के घर से नकदी बरामदगी मामले की निष्पक्ष जाँच की माँग करते रहे हैं। मार्च में न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से अधजले नोट मिले थे। लेकिन उनके इस्तीफे को लेकर अटकलें आने वाले दिनों में भी जारी रहेंगी।

क्या धनखड़ को सरकार के साथ चलने के बजाय अपना रास्ता चुनने की कीमत चुकानी पड़ी?

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